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हिंदी कहानियां - भाग 212

मत जाओ दादी


मत जाओ दादी बेबो रिमोट लेकर पूरे घर में दौड़ रही थी और दादी उसके पीछे। तभी दरवाजे की घंटी बजी। दरवाजा दादी ने खोला। वह हांफ रही थीं। दरवाजा खोलते ही वह थक कर सोफे पर बैठ गईं। मम्मी को कुछ गड़बड़ लगी। उन्होंने घबरा कर पूछा, ‘क्या हुआ मां जी। आपकी तबीयत तो ठीक है न।’ इतनी देर में पापा किचन से पानी लेकर आ गए। पानी पीने के बाद दादी बोलीं, ‘अरे तुम लोग घबराओ नहीं, मैं ठीक हूं। बस थक गई हूं जरा सा।’ मम्मी को लगा कि जरूर कोई बात है, जिसे वह बताना नहीं चाह रही हैं।  उन्होंने बेबो से पूछा, ‘बेटा तुम कोने में क्यों खड़ी हो? पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। वह बिना कुछ बोले टीवी देखने लगी। टीवी पर उसका मनपसंद शो मोटू-पतलू आ रहा था।’  मम्मी-पापा अपने कमरे में आ गए। पापा ने कहा कि बेबो की परीक्षाएं आनी वाली हैं और वह कार्टून देख रही है। यह ठीक नहीं है। पर मम्मी के दिमाग में कुछ और चल रहा था।  उन्हें दादी की फिक्र थी। आखिर घर में वह ऐसा क्या काम कर रही थीं कि हांफने लगीं। जरूर बेबो ने उन्हें तंग किया होगा। खैर, मम्मी-पापा ड्रॉइंगरूम में पहुंचे तो उन्होंने पाया कि दादी ने चाय बनाकर मेज पर रख दी है। पापा ने टीवी में कार्टून हटाकर न्यूज चैनल लगा दिया। बेबो तुरंत भड़क गई और बोली, ‘पापा आपने कार्टून क्यों हटाया? रिमोट दीजिए मुझे। मैं कार्टून देखूंगी।’ यह देखकर मम्मी ने उसे डांट लगाई, ‘बेबो, ऐसे बात करते हैं पापा से? चलो सॉरी बोलो।’ बेबो रूठकर अपने कमरे में चली गई। मम्मी चिंतित हो गईं। तभी पापा ने दादी से पूछा,‘मां आप बताओ कि स्कूल से लौटने के बाद बेबो ने होमवर्क किया या नहीं।’  दादी ने बताया कि स्कूल से लौटने के बाद बेबो लगातार टीवी देख रही थी। कई बार कहने के बावजूद उसने खाना  नहीं खाया। आजकल वह उनकी कोई बात नहीं सुनती है। अब मम्मी को पूरी बात समझ में आई। उन्होंने पूछा, ‘तो मां जी, बेबो आपको रिमोट के लिए घर में दौड़ा रही थी। तभी आप दरवाजा खोलते वक्त हांफ रही थीं। दादी ने कहा, ‘हां बहू, पर तुम बेबो को मत डांटना, वरना उसे बुरा लगेगा।’ अब मम्मी-पापा सोचने लगे कि बेबो को सही रास्ते पर कैसे लाया जाए। बड़ों के प्रति उसका व्यवहार खराब होता जा रहा था। एक दिन डिनर के वक्त उसने दादी की बगल वाली कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया। बोली, ‘मैं दादी के पास नहीं बैठूंगी। वह मुझे दिन भर डांटती रहती हैं।’ यह सुनकर पापा ने उसे सॉरी बोलने को कहा तो वह बिना कुछ कहे अपने कमरे में चली गई।  दिन पर दिन उसकी शरारतें बढ़ती जा रही थीं। पेरेंट्स मीटिंग में क्लास टीचर ने बताया कि बेबो अकसर क्लास में दोस्तों से बातें करती रहती है। मम्मी-पापा परेशान थे। क्या करें? तब उन्होंने दादी के साथ मिलकर प्लान बनाया। अगले दिन बेबो सोकर उठी तो उसने मम्मी को पैकिंग करते पाया। वह चहक उठी। बोली, ‘मम्मा, हम घूमने जा रहे हैं?’ मम्मी ने कहा, ‘हम नहीं, दादी जा रही हैं।’ बेबो चौंक गई। दादी अकेले घूमने जा रही हैं। कहां जाएंगी वह अकेले? हमारे बिना उन्हें घूमने में मजा आएगा क्या? तभी दादी आ गईं कमरे में। बोलीं, ‘अरे मैं घूमने नहीं, अपने गांव जा रही हूं वापस। अब  वहीं रहूंगी। बहू, अलमारी में रखे सारे कपड़े पैक कर देना। मेरी दवाइयां और सारे स्वेटर रखना मत भूलना।’ पापा बोले, ‘मां आपकी टिकट पक्की हो गई है। आज रात की ट्रेन है। मैं आपको गांव तक छोड़ने चलूंगा।’ बेबो को समझ में ही नहीं आ रहा था कि अचानक क्या हो गया। जब से उसने होश संभाला था, दादी हमेशा से उसके साथ ही रह रही थीं। अब वह गांव जा रही हैं और हमेशा के लिए... पर क्यों? अब उसका क्या होगा? स्कूल से लौटने के बाद उसे खाना कौन खिलाएगा? रात में उसे कहानी कौन सुनाएगा? उसकी चोटी कौन करेगा?  बेबो को रोना आ रहा था। वह चुपचाप ब्रश करने चली गई। लौटकर ड्रॉइंगरूम में दूध पीने बैठ गई। यह क्या, आज उसके दूध में चीनी नहीं थी। उसने पूछा, ‘दादी आज आपने दूध में चीनी क्यों नहीं डाली।’ तब दादी बोलीं, ‘बेटा यह दूध मैंने नहीं, तुम्हारी मम्मी ने दिया है।’ मम्मी बोलीं, ‘सॉरी बेटा, मुझे पता ही नहीं था कि तुम चीनी वाला दूध पीती हो।’ तभी उन्होंने टेबल पर उसका टिफिन रख दिया। उन्हें ऑफिस के लिए देरी हो रही थी। बेबो ने टिफिन खोलकर देखा। उसमें परांठा और भिंडी की सब्जी थी। बेबो ने पूछा, ‘दादी आपको तो पता है कि मुझे भिंडी अच्छी नहीं लगती। आप तो मेरे लिये आलू का परांठा बनाती हैं।’ तभी पापा ने कहा, ‘बेटा नखरे मत करो। तुम्हारी मम्मी के पास इतना टाइम नहीं है कि वह सुबह-सुबह तुम्हारी फेवरेट सब्जी बनाएं। वह तो बेचारी दादी थीं, जो तुम्हारी मनपसंद  चीजें बनाती रहती थीं। अब तुम यह सब भूल जाओ। और हां, कल से स्कूल से लौटने के बाद तुम्हें क्रच जाना होगा।  हम शाम को ऑफिस से लौटकर तुम्हें वहां से ले लेंगे।’ बेबो रुआंसी गई। तभी दादी वहां आ गईं। उन्होंने प्यार से बेबो के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘सॉरी बेटा, मैं तुम्हें हर वक्त टोकती रहती थी। मैं गांव जा रही हूं।’ यह सुनते ही बेबो दादी के गले लगकर जोर-जोर से रोने लगी और बोली,‘सॉरी दादी, मत जाओ प्लीज! मैं अब कभी आपको तंग नहीं करूंगी।’ यह सुनते ही मम्मी भी वहां आ गईं। बेबो रोते-रोते बोली, ‘मम्मी, दादी को रोको न। मैं क्रच नहीं जाऊंगी। मुझे दादी के पास रहना है।’ दादी ने मम्मी-पापा को डांटते हुए कहा, ‘सुन लो तुम लोग! मैं अपनी बच्ची को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाली। क्रच वालों को मना कर दो। बेबो घर पर रहेगी, मेरे साथ।’ यह सुनते ही बेबो उनके गले से लिपट गई और बोली,‘दादी, आप बहुत अच्छी हैं।’ 

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